अनुकरणीय : छह साल में 200 शवों का अंतिम संस्कार

खंडवा हाल ही में ओडिसा के दाना मांझी द्वारा पत्नी के शव को अस्पताल से कंधे पर रखकर ले जाने की तस्वीर सामने आई है। मानवता को शर्मसार कर देने वाली ऐसी परिस्थिति खंडवा में न बने इसके लिए यहां एक संस्था करीब चार साल से काम कर रही है। यह समिति न केवल मौत का शिकार होने वाले ज्ञात और अज्ञात लोगों का अंतिम संस्कार करती है बल्कि दूर-दूर से आने वाले परिजन को भी सकुशल घर तक पहुंचाती है।

पूर्व निमाड़ सामाजिक सांस्कृतिक सेवा समिति ने अब तक करीब 200 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया है। कल्लनगंज निवासी मुबारिक पटेल व श्रीधूनीवाले दादाजी दरबार क्षेत्र में रहने वाले समाजसेवी आशीष चटकेले सहित अन्य लोगों ने करीब 6 साल पहले लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया था। इसके बाद इस सेवा कार्य में देखते देखते कारवां जुड़ता गया।
करीब चार साल पहले तैयार हुए ग्रुप ने पूर्व निमाड़ सामाजिक सांस्कृतिक सेवा समिति तैयार की। समिति में मुबारिक पटेल, सुरेंद्र सिंह सोलंकी, भूपेंद्रसिंह चौहान, सुनील जैन, नागेश वालंजकर, संदीप राठौड़, मंगलेश शर्मा, आसिफ पंवार, शेख वसीम सहित अन्य सदस्य अंतिम संस्कार के लिए तत्पर रहते हैं।
तत्काल उपलब्ध कराई एंबुलेंस
करीब 15 दिन पहले इंदौर रोड स्थित एक हॉस्पिटल में युवक की मौत के बाद परिजन के पास शव को गांव तक ले जाने के लिए रुपए नहीं थे। समिति के आशीष चटकेले ने बताया कि उनके पास मोबाइल पर जब इसकी सूचना मिली तो तत्काल राशि का इंतजाम कर परिजन को एम्बुलेंस उपलब्ध कराई गई। तब कहीं जाकर परिजन बुरहानपुर के पास लिंगी फाटा स्थित अपने गांव तक शव ले जा सके।
आर्थिक सहायता
ट्रेन से सफर के दौरान दुर्घटना में यात्रियों की मौत हो जाने वाले मामले में हजारों किमी दूर से आने वाले परिजन को कई बार समिति ने आर्थिक मदद की है। हाल ही में इटारसी से बेटे के साथ लापता हुई ललितपुर निवासी विक्षिप्त बोझलीबाई खंडवा पहुंच गई थी। यहां उसने अपने 11 वर्षीय बेटे को तबीयत बिगड़ने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया। यहां उसकी मौत हो गई। सूचना मिलने पर महिला के भाई दुर्गाप्रसाद खंडवा पहुंचे। समिति द्वारा बालक के अंतिम संस्कार में मदद करने के साथ ही परिजन को घर तक सकुशल पहुंचाने का प्रबंध भी किया गया।