खंडवा जिले के 140 में से 132 सरकारी स्कूलों में नहीं हैं खेल शिक्षक

खंडवा। ओलिंपिक में महज दो पदक मिलने के बाद खेल में देश के पिछड़ने को लेकर फिर बहस छिड़ गई है। कोई इसके पीछे सिस्टम को जिम्मेदार ठहरा रहा है तो कोई अपर्याप्त संसाधनों को। नईदुनिया ने स्थिति जानने के लिए सरकारी स्कूलों में हो रहे खेलों पर नजर डाली तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। जिले के 140 में से 132 सरकारी स्कूलों में खेल शिक्षकों के पद खाली हैं। ग्रामीण विकासखंडों से अधिकांश खेलों में टीमें स्पर्धाओं में शामिल होने तक नहीं आतीं। स्कूलों में खेलों के लिए नियमित रूप से समय तक निर्धारित नहीं हैं। इसके साथ ही विद्यार्थियों से खेल शुल्क के नाम पर लिए जाने वाले 25 लाख रुपयों का भी उनके खेल विकास के लिए उपयोग नहीं हो रहा।

शहर के उत्कृष्ट विद्यालय, सूरजकुंड, नेहरू व जावर हायर सेकंडरी स्कूल, पंधाना उत्कृष्ट विद्यालय, अहमदपुर खैगांव, ओंकारेश्वर और बोरगांव हायर सेकंडरी स्कूल में खेल शिक्षक हैं। शेष 132 स्कूलों में खेलों का कोई प्रशिक्षक नहीं है। नया हरसूद और किल्लौद में तो विकासखंड शिक्षा अधिकारी तक नहीं हैं। ऐसे में अधिकांश खेलों में ग्रामीण क्षेत्रों से खिलाड़ी स्पर्धा में शामिल तक नहीं हो पाते।
हर विद्यार्थी देता है खेल शुल्क
सरकारी हाईस्कूल में 60 रुपए और हायर सेकंडरी में 80 रुपए प्रति विद्यार्थी खेल शुल्क लिया जाता है। हर साल सरकारी स्कूलों में खेल के नाम पर 25 लाख रुपए एकत्रित होते है। इसके बावजूद स्कूलों में खेल के पीरियड तक नहीं लगते, न ही विद्यार्थियों को प्रशिक्षण मिलता है।
10 साल से नहीं हुई भर्ती
पिछले 10 साल से जिले के सरकारी स्कूलों में खेल शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है। शिवपुरी के खेल प्रशिक्षण केंद्र में पिछले पांच साल में जिले से एक भी शिक्षक नहीं पहुंचा।
मांगी है अनुमति
खेल प्रशिक्षकों की कमी से स्कूलों में नियमित रूप से खेल गतिविधियों का संचालन नहीं हो रहा है। राज्य शासन और स्कूल शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर अतिथि शिक्षकों की तरह स्कूलों में खेल प्रशिक्षकों की नियुक्ति की अनुमति मांगी गई है।
– केएस राजपूत, जिला शिक्षा अधिकारी