मदद की गुहार…सायबर ठगी को अंजाम

विशाल सिंह
खंडवा। एक मासूम बच्चा जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है….इन्सानियत के नाते उसकी मदद कर करें ….गरीब परिवार से है, परिजन उसका खर्चा नहीं उठा सकते…इस लिए हमारी संस्था मदद के लिए आगे आई है….
सावधान…..सायबर ठगी का एक और अनोखा तरीका सामने आया है। जिसका शिकार आप भी हो सकते हैं। यहां कथित व्यक्ति आपको भावनात्मक रूप से ब्लेक मेल करता है….मदद के नाम पर आर्थिक स्थिति का हवाला दिया जाता है। एम्स आदि नामी अस्पतालों में इलाज बताया जाता है…चेरिटी और मदद के लिए एनजीओ के नाम का सहारा लिया जाता है। मासूम बच्चों की दुहाई दी जाती है…और फिर खाते में रकम ड़ालने की गुहार लगाई जाती है ताकि बच्चों की जिंदगी को बचाया जा सके।

मध्यप्रदेश में इस गिरोह ने कदम रख लिया है। और छोटे शहर कस्बे निशाने पर हैं। 07551125850,98278201388 सहित अन्य नंबरों से आप भी सर्तक रहे। खंडवा के नंबरों पर कथित संस्था के कॉल आ रहे हैं। इन नंबरों पर कॉल करने पर आपको तैयार मैसेज मिलेगा कि जितनी जल्दी हो सके मदद कर दें।
शातिर तरीके से मदद के लिए बकायदा एनजीओ के नाम से वेबसाइट बनाई जाती है। गंभीर बीमार बच्चों के फोटो होते हैं,साइट जिसके उपरी भाग में ही मदद भुगतान का आप्शन होता है। भुगतान क्रेडिट डेबिट कार्ड या नेट बेंकिंग से किया जा सकता है। भारत में एनजीओ की मानिटरिंग करने वाली संस्था के जांच अधिकारी अजहर खान के अनुसार कई संस्थाएं फर्जी तरीके से रजिस्टर्ड होकर इस तरह के सायबर क्राइम को अंजाम दे रही है। इसका खुलासा उन्होने मई 2016 में ही कर दिया था। भारत सरकार एनजीओ अर्थारिटी की वेबसाइट पर आपको इन फर्जी एनजीओ की लिस्ट मिल जाएगी जो कि भारत सरकार से पंजीकृत नहीं है। वहीं पंजीकृत एनजीओ के नाम भी हैं,लेकिन अधिकृत एनजीओ टेली कॉलिंग से मदद की गुहार नहीं लगाते। सायबर ठगी के लिए कॉल लिस्ट जुगाडऩा बांये हाथ का खेल होता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कई भारत में इस तरह की 400 से अधिक फर्जी एनजीओ चेरिटी के नाम पर सायबर ठगी को अंजाम दे रही हैं। एम्स प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि चैरिटी के लिए अधिकृत एनजीओ की लिस्ट उनकी वेबसाइट पर देखी जा सकती है। लिस्ट के अतिरि
क्त अन्य कोई डोनेशन के लिए अधिकृत नहीं है। शिकायत प्रकोष्ठ सहित पुलिस को इसकी शिकायत की जानी चाहिए।