भोपाल(NewsDesk)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चल रहे आलमी तब्लीगी इज्तिमा का आज (17 नवंबर 2025) आखिरी दिन था और सबसे दुआ-ए-खास में 10 से 12 लाख जायरीन के शामिल होने की संभावना है. इसको लेकर प्रशासन ने भी खास तैयारी की है और सुरक्षा के अलावा यातायात के लिए खास रणनीति बनाई गई है. पुलिस, होमगार्ड और ट्रैफिक स्टाफ की तैनाती की गई है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ये इज्तिमा क्या है और इसमें लाखों मुसलमान क्यों शामिल होते हैं. इज्तिमा के आयोजन का मकसद क्या होता है और इस कार्यक्रम में शामिल मुसलमान आखिर बाते क्या करते हैं।
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इज्तिमा क्या अर्थ क्या है?
बता दें कि इज्तिमा एक तरह का जलसा है, जो अरबी भाषा का एक शब्द है और इसका अर्थ लोगों का एक जगह पर जमा होना है. यानी इज्तिमा में लोग एक जगह पर इकट्ठा होते हैं. इसका आयोजन जिले, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता है, जिसमें लाखों लोग शामिल होते हैं. भोपाल में आयोजित इज्तिमा में 23 देशों से धर्मावलंबी आए है और 1300 से ज्यादा जमातें हैं. कार्यक्रम में लाखों की संख्या में लोग शामिल हो रहे हैं. बताया जाता है कि इज्तिमा का आयोजन पहली बार साल 1940 में हुआ था और 85 सालों से तब्लीगी जमात इज्तिमा का आयोजन करती आ रही है. इसका आयोजन हर दो साल पर देश के अलग-अलग शहरों में किया जाता है. भोपाल से पहले इज्तिमा का आयोजन बुलंदशहर, संभल और औरंगाबाद के अलावा कई शहरों में हो चुका है।
क्या होता है इज्तिमा का मकसद?
इज्तिमा एक तरह का इस्लामी समागम है और इसमें दुनियाभर से लाखों मुसलमान शामिल होते हैं. इज्तिमा के आयोजन का पूरा मकसद इस्लाम पर फोकस होता है और यहां इस्लाम धर्म की तालीम दी जाती है. इस दौरान बताया जाता है कि एक मुसलमान दीन के रास्ते पर बेहतर ढंग से कैसे चल सके. यानी यह बताया जाता है कि इस्लाम के मुताबिक किसी को अपना रोजाना का जीवन कैसे शांति, सादगी और नैतिकता जी सके।
इज्तिमा में क्या बातें करते हें लाखों मुसलमान?
इज्तिमा के दौरान उन बातों पर चर्चा होती है कि एक मुसलमान किस तरह सादगी के जीवन व्यतीत कर सकता है. इज्तिमा में मुस्लिम धर्म के बड़े-बड़े मौलवी और विद्वान भाषण देकर मार्गदर्शन करते हैं. रोजे और नमाज का महत्व समझाते हैं. इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोगों को जागरुक किया जाता है, लेकिन किसी तरह के सांप्रदायिक और राजनीतिक मुद्दे पर चर्चा नहीं होती है. कार्यक्रम में शादी में होने वाले खर्चों पर भी चर्चा होती हैं. इस दौरान बताया जाता है कि खर्चीली शादियों से समाज को किस तरह के नुकसान होते हैं और इस्लाम इस बारे में क्या कहता है. इस दौरान बड़ी संख्या में निकाह भी संपन्न कराए जाते हैं, जिनमें किसी तरह का कोई दहेज नहीं लिया या दिया जाता है।
30 हजार लोग व्यवस्थाओं में लगे रहे
इस बार भी इज्तिमा स्थल की व्यवस्था 30 हजार प्रशिक्षित और अनुभवी लोगों के हाथों में थी। इनमें 25 हजार वॉलंटियर्स इज्तिमा कमेटी के रहे, जबकि 5 हजार अमला नगर निगम, प्रशासन और पुलिस बल से जुड़ा है।
ये टीमें सफाई, सुरक्षा, ट्रैफिक और पंडाल व्यवस्था को संभाल रही थी। वहीं दमकल टीम चौबीसों घंटे इज्तिमा स्थल पर थे। फायर फाइटर वाहनों को अलग-अलग बिंदुओं पर भी तैनात किया गया। रेलवे स्टेशन पर करीब 500 वॉलंटियर प्रति शिफ्ट अभी भी तैनात है।
मैदान में मेडिकल और इमरजेंसी सर्विस तैनात
इज्तिमा प्रबंधन ने दुआ-ए-खास के मद्देनजर रात से ही विशेष इंतजाम किए थे। सभी एंट्री-पॉइंट्स पर मेडिकल हेल्प, स्वयंसेवक और सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए।
भीड़ को नियंत्रित करने और आपात स्थितियों से निपटने के लिए संयुक्त कंट्रोल रूम भी सक्रिय है।
रेलवे ने भीड़ को देखते हुए जोड़े अतिरिक्त कोच
पश्चिम मध्य रेलवे भोपाल मंडल ने इज्तिमा को देखते हुए 2 प्रमुख ट्रेनों में एक-एक अतिरिक्त सामान्य कोच जोड़ने का निर्णय लिया है। यह व्यवस्था 17 और 18 नवंबर को लागू रहेगी। जिन दो कोच में अतिरिक्त कोच लगेंगे उनमें भोपाल बिलासपुर एक्सप्रेस (18235) और भोपाल–जोधपुर एक्सप्रेस (14814) शामिल है।
