मध्यप्रदेश के खरगोन जिले ने देश के पश्चिमी क्षेत्र के राज्यों में 6वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार में पहला स्थान हासिल किया है। वहीं खंडवा जिले की कावेश्वर ग्राम पंचायत और आंध्रप्रदेश के प्रकाशम जिले की मुरूगुम्मी पंचायत ने संयुक्त रूप से दूसरा स्थान पाया। खंडवा और खरगोन के कलेक्टर को नई दिल्ली में 18 नवंबर को आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
नेशनल अवार्ड की घोषणा मंगलवार देर शाम हुई। खास बात यह है कि खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता और खरगोन कलेक्टर भव्या मित्तल पति-पत्नी हैं। दोनों कलेक्टर एक मंच पर राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करेंगे। मध्यप्रदेश में सिर्फ खंडवा और खरगोन को यह सम्मान मिलने पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर बधाई दी।
हालांकि, कलेक्टर दंपती के साथ ऐसा संयोग पहली बार नहीं है। मंदसौर और नीमच जिले में सीईओ जिला पंचायत रहते हुए भी उन्हें राष्ट्रीय पंचायत राज अवॉर्ड मिला था। साल 2020 में मध्यप्रदेश में जिला पंचायत स्तर पर मंदसौर-नीमच जिले ने उपलब्धि हासिल की थी। अब 18 नवंबर को खंडवा कलेक्टर को कावेश्वर पंचायत के अलावा जल संचयन, जन भागीदारी अभियान के तहत के देश में प्रथम जिले का पुरस्कार भी मिलेगा।
जल संचयन में दो करोड़ रूपए का इनाम मिलेगा
जल संचयन अभियान के तहत किए गए उत्कृष्ट कार्य (जिले में रिकॉर्ड जल संरचनाओं का निर्माण) के लिए खंडवा जिले ने देश में पहला स्थान हासिल किया है। इसके लिए कलेक्टर ऋषव गुप्ता और सीईओ जिला पंचायत डॉ. नागार्जुन बी गौड़ा को सम्मान मिलेगा। राष्ट्रपति के हाथों सम्मान के साथ ही बतौर इनाम दो करोड़ रूपए की प्रोत्साहन राशि मिलेगी।
वहीं, कावेश्वर ग्राम पंचायत को मिलने वाला नेशनल अवॉर्ड अलग से है। यह अवॉर्ड खंडवा कलेक्टर के साथ जनपद पंचायत खंडवा के सहायक यंत्री (AE) गौरव रघुवंशी को मिलेगा। इस अवॉर्ड के लिए राशि की घोषणा नहीं हुई है।
कावेश्वर पंचायत देश में दूसरे स्थान पर रहीं
खंडवा जिला पंचायत के सीईओ (IAS) डॉ. नागार्जुन बी गौड़ा ने बताया कि जिले की ग्राम पंचायत कावेश्वर में किए गए जल संरक्षण के कार्यों के कारण देश की सभी पंचायतों में कावेश्वर का चयन किया गया है। ग्राम पंचायत द्वारा पिछले सालों में कावेरी नदी के उद्गम स्थल कुंड का जीर्णोधार सहित कई कार्य किए गए है।
खासकर, पंचायत क्षेत्र अंतर्गत पहाड़ी क्षेत्र का सेचुरेशन अप्रोच से वाटरशेड के मूल सिद्धांत रिज टू वैली के आधार पर विकसित किया गया। जिसमें 50 हेक्टेयर में कंटूर, 55 गली प्लग, 35 पोखर तालाब, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, हैंडपंप रिचार्ज, बोरवेल रिचार्ज, रिचार्ज शॉफ्ट का निर्माण किया गया।
