खिरकिया: किल्लौद- ग्रामीणों को गांव में रोजगार देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 2005 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को कानून बनाकर शुरू किया था जिसमें ग्राम के जाबकार्ड धारी मजदूर परिवार को प्रतिवर्ष 100 दिवस के रोजगार की गारंटी दी गई है ताकि ग्राम से मजदूर वर्ग पलायन न करे और ग्राम में ही काम कर सके।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसा ही मामला ग्राम पंचायत सेमरुड का सामने आया जहा ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव रोजगार सहायक अपने जान पहचान के फर्जी मजदूर जो कार्य स्थल पर नहीं जाते उनके नाम मस्टर में दर्ज करके एनएमएमएस एप्स में कार्य स्थल से फर्जी उपस्तिथि जिसमें मजदूर प्रदर्शित नहीं हो रहे। फोटो अपलोड करके फर्जी राशि का भुगतान करके फर्जी मजदूरों को उनका कमीशन देकर बाकी राशि का आहरण किया जा रहा है जिसमें पोर्टल में दोनों समय प्रातः काल एवं दोपहर की लेबर उपस्थिति जिस कार्यस्थल की फोटो अपलोड की गई है। उसमें कार्य करते हुए मजदूर प्रदर्शित नहीं हो रहे है कार्य स्थल खाली दिखाई दे रहा है।
मीडिया ने जब कार्यस्थल का मौका मुआयना किया तो पाया कि लेबर नहीं है जबकि आनलाइन में 20 लेबर उपस्थित शो हो रहे है फिर हमने ग्रामीणों से मिलकर पूछा कि बड़े नाले के पास पोखर तालाब निर्माण कार्य कहा चल रहा है तो ग्रामीणों द्वारा बताया गया अभी 4 महीने से कोई कार्य नहीं चल रहा इससे स्पष्ट है कि सरपंच सचिव रोजगार सहायक आदि सभी की मिलीभगत से मनरेगा योजना में भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है इस मामले को वरिष्ठ अधिकारी संज्ञान में लेकर उचित कार्यवाही करना चाहिए और जो वास्तविक मजदूर है उनको रोजगार देना चाहिए।
ग्राम रोजगार सहायक दशरथ पवार ने उत्तेजित होकर जवाब दिया कि हमे ऐसा ही करना पड़ता है आप लोग हमे अपना काम करने दो हमे पता है क्या करना है क्या नहीं हमे ऐसा ही कर के बहुत कुछ एडजस्टकरना पड़ता है रोजगार सहायक निडर होकर इस प्रकार फर्जी उपस्थिति दर्ज की जा रही है या फिर ऐसा करने के लिए यहां के रोजगार सहायक को किसका संरक्षण प्राप्त है।
इनका कहना:-
आपके द्वारा मामला संज्ञान में आया है मैं देखता हूं – अरविंद पाटीदार, मुख्य कार्यपालन अधिकारी किल्लौद