शनिवार को इंदौर लोकायुक्त ने धार जिले की उमरबन जनपद पंचायत के सीईओ काशीराम कानूडे को 25 हजार रूपए की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा है। इससे पहले वह खंडवा में लंबे समय तक पदस्थ रहा। पुनासा जनपद के बहुचर्चित घाट घोटाले का मास्टर माइंड रहा है। काशीराम पर घाट घोटाले में 58 लाख रूपए रिकवरी निकली हुई हैं। वह खंडवा में दो बार जनपद सीईओ पुनासा, छैगांवमाखन सहित एडिशनल सीईओ जिला पंचायत का जिम्मा भी संभाल चुका हैं।
शासन ने काशीराम के करप्शन पर एक्शन नहीं लिया
उमरबन में रिश्वतकांड से पहले काशीराम कानूडे ने पुनासा जनपद सीईओ रहते हुए घाट घोटाले को अंजाम दिया था। जांच के दौरान सामने आया था कि 62 पंचायतों में घाट निर्माण हुए है। इस घोटाले का मास्टर माइंड खुद सीईओ काशीराम था। इसीलिए जांच कमेटी ने उसके खिलाफ 58 लाख 64 हजार 838 रूपए की रिकवरी निकाली थी। उसने रिकवरी की राशि आज दिनांक तक जमा नहीं कराई है। इतने बड़े घोटाले में शासन ने कोई सख्ती नहीं बरती। ना काशीराम को निलंबित किया और ना ही उसके खिलाफ एफआईआर कराई।
बल्कि इस बहुचर्चित घाट घोटाले में काशीराम ही मुख्य आरोपी था। उनके बाद सीईओ बनीं स्वर्णलता काजले भी घाट घोटाले में शामिल हो गई। जांच कमेटी ने स्वर्णलता काजले के विरूद्व भी एक लाख 40 हजार 794 रूपए की निकाली। इस रिकवरी आदेश को सालभर हो गया है। राशि जमा कराने के लिए 15 दिन की टाइमलाइन दी गई थी। मजे की बात यह है कि स्वर्णलता खंडवा जिले में ही छैगांवमाखन जनपद सीईओ के पद पर है। वहीं काशीराम कानूडे भी सीईओ रहते एक दिन पहले ही लोकायुक्त में ट्रेस हुआ हैं।
भ्रष्टाचार के आरोप तय, बावजूद नौकरी पर डटे हुए
जनपद सीईओ काशीराम कानूडे, स्वर्णलता काजले सहित सहायक यंत्री, उपयंत्री और 62 ग्राम पंचायतों के सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक के खिलाफ घाट घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोप तय हो गए थे। जिला पंचायत सीईओ ने 20 नवंबर 2023 को आदेश भी पारित कर दिया। आदेश में 15 दिन की मोहलत दी गई थी। लेकिन सालभर होने के बाद भी शासन ने एक्शन नहीं लिया। ना रिकवरी जमा हो पाई और ना ही किसी अधिकारी-कर्मचारी पर एफआईआर की गई। सभी भ्रष्टाचारी नौकरी कर रहे हैं।
अभी तक किसी ने रिकवरी राशि जमा नहीं कराई
पुनासा जनपद सीईओ रीना चौहान के मुताबिक, घाट घोटाले में तत्कालीन जनपद सीईओ सहित पंचायत सचिवों के विरूद्व रिकवरी आदेश जारी हुआ था। लेकिन अभी तक किसी ने भी रिकवरी राशि जमा नहीं कराई है। इस संंबंध में सीईओ जिला पंचायत ने कार्रवाई की थी। आगे भी उच्च अधिकारी ही कार्रवाई करेंगे।
इधर, जो छैगांव जनपद में रहा, वो लोकायुक्त में धराया
छैगांवमाखन जनपद पंचायत में वर्तमान सीईओ स्वर्णलता काजले है। उनके खिलाफ पुनासा घाट घोटाले में रिकवरी निकली हुई है। फिलहाल, उनकी कार्यप्रणाली से जनपद अध्यक्ष नाराज है। वे शासन को कई बार शिकायत भी कर चुके है। इससे पहले रवि मुवेल और काशीराम कानूडे भी छैगांवमाखन जनपद सीईओ रहे है। दोनों दूसरे जिले में ट्रांसफर के बाद लोकायुक्त के हत्थे चढ़ चुके हैं।
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