यूएन में गूंजती थी जिसकी आवाज, 35 साल की सेवा के बाद रिटायर हुईं वो भारतीय महिला अफसर

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र में भारत की पहली महिला स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज रिटायर हुईं। रुचिरा 2 अगस्त, 2022 को न्यूयॉर्क में भारत की स्थायी प्रतिनिधि/राजदूत बनीं थी। वे 35 साल की सेवा के बाद रिटायर हुई हैं। इस दौरान उन्होंने भूटान, दक्षिण अफ्रीका और यूनेस्को में भारतीय राजदूत के रूप में काम किया। कंबोज 1987 बैच की आईएफएस अधिकारी हैं। उन्होंने शनिवार को सोशल मीडिया पर लिखा, ‘भारत को असाधारण वर्षों और अविस्मरणीय अनुभवों के लिए धन्यवाद।ट पिछले दो सालों में, रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास युद्ध के दौरान, कंबोज ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में चर्चाओं में भारत का नेतृत्व किया।

यूएन में भारत की पहली महिला स्थायी प्रतिनिधि
रुचिरा कंबोज 1987 की सिविल सेवा परीक्षा में पूरे भारत में महिलाओं में अव्वल रहीं और उसी साल की विदेश सेवा परीक्षा में भी टॉप रहीं। 2 अगस्त 2022 को वह न्यूयॉर्क में भारत की स्थायी प्रतिनिधि/राजदूत बनीं। कंबोज हिंदी, अंग्रेजी और फ्रेंच तीन भाषाओं की जानकार हैं। उन्होंने 1989 से 1991 तक फ्रांस में भारतीय दूतावास में तीसरे सचिव के रूप में अपने कूटनीतिक कैरियर की शुरुआत की। इंडियन मिशन की वेबसाइट के अनुसार, 2002 से 2005 तक वह न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में काउंसलर रहीं, जहां उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार, मध्य पूर्व संकट आदि जैसे कई राजनीतिक मुद्दों को देखा।

दमदार भाषणों के लिए मशहूर
रूचिरा कंबोज का शानदार करियर यहीं तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय में महासचिव कार्यालय की उप प्रमुख के रूप में भी काम किया है। 2011 से 2014 तक, वह भारत की चीफ ऑफ प्रोटोकॉल रहीं, जो इस पद को संभालने वाली सरकार में अब तक की पहली और इकलौती महिला हैं। पेरिस में यूनेस्को में अपने तीन साल के कार्यकाल के दौरान, उनके नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं। कंबोज भारतीय विदेश मंत्रालय में यूरोप वेस्ट डिवीजन में अंडर सेक्रेटरी, मॉरीशस में भारतीय उच्चायोग में फर्स्ट सेक्रेटरी, और भारतीय विदेश सेवा कार्मिक एवं कैडर विभाग में उप सचिव और निदेशक के रूप में काम कर चुकी हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य किया है और उन्हें उनके ओजस्वी भाषणों और भारत की बात को दमदार तरीके से रखने के लिए जाना जाता है।

भूटान से लेकर साउथ अफ्रीका में रहीं उच्चायुक्त
मई 2014 में, विदेश मंत्रालय ने उन्हें एक खास कार्य के लिए दिल्ली बुलाया, ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह का संचालन किया जा सके। फरवरी 2019 में वह भारतीय राजदूत के रूप में भूटान गईं और अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण पहल कीं। वह जुलाई 2017 से 2019 की शुरुआत तक दक्षिण अफ्रीका में भारत की उच्चायुक्त भी रहीं, साथ ही लेसोथो साम्राज्य में भी मान्यता प्राप्त थीं।

उनकी निजी जिंदगी के बारे में बताएं तो, उनकी शादी दिवाकर कंबोज से हुई है और उनकी एक बेटी है। उनके दिवंगत पिता भारतीय सेना में अधिकारी थे और उनकी मां दिल्ली विश्वविद्यालय में संस्कृत की प्रोफेसर रही हैं। रुचिरा कंबोज ने हाल ही में अपने चार दशक के शानदार करियर के बाद रिटायरमेंट ली है। उनके योगदान और उनकी सेवाओं को भारतीय विदेश सेवा में बहुत सराहा गया है।

Sources: TOI