खंडवा।अग्रिम जमानत के बाद पुलिस द्वारा धाराएं बढ़ाने के मामले को न्यायालय ने अवमानना मानते हुए एसपी, महिला सेल डीएसपी, महिला सेल प्रभारी और टीआई को नोटिस दिया है। इस मामले में आरोपी को गिरफ्तार किए बगैर सीधे कोर्ट में चालान पेश करने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने पुलिस को 14 दिसंबर तक जवाब पेश करने के लिए समय दिया है। अपहरण के एक मामले में आरोपी को न्यायालय से अग्रिम जमानत मिल गई थी। महिला सेल प्रभारी एसआई मोनिका सराठे ने कोर्ट को जानकारी दिए बिना ही आरोपी पर धारा 376 और पास्को एक्ट की धारा लगा दी।
मिली जानकारी के अनुसार 13 दिसंबर 2014 को रोहणी निवासी 25 वर्षीय प्रकाश पिता दंदू ग्राम गांजा बड़गांव की 14 साल की बालिका को भगा ले गया था। परिजन की शिकायत पर कोतवाली थाने में आरोपी प्रकाश पर केस दर्ज हुआ था। प्रकाश और बालिका ने इस बीच शादी कर ली। दोनों करीब तीन साल बाद 21 नवंबर को वापस लौटे। तब तक बालिका बालिग हो गई थी। दोनों की दो साल की बेटी है और युवती के सात माह से गर्भवती है। 21 नवंबर 2017 को प्रकाश को धारा 363 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश एसएस रघुवंशी ने अग्रिम जमानत दे दी।
प्रकाश कोतवाली थाने में जमानत की जानकारी देने पहुंचा। उसके साथ पत्नी व दोनों परिवार के लोग भी थे। यहां से उसे महिला सेल भेज दिया गया। यहां उसे जमानत पर छा़ेडने की बजाए महिला सेल प्रभारी एसआई मोनिका सरोठिया ने प्रकाश पर दुष्कर्म और पॉस्को एक्ट में प्रकरण दर्ज कर दिया। अगले दिन उसे कोर्ट पेश किया गया यहां से भी उसे जमानत मिल गई। 1 दिसंबर को फिर से जांच अधिकारी मोनिका आरोपी प्रकाश को रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट पहुंची थी।
न्यायालय को नहीं दी जानकारी
एसआई मोनिका ने न्यायालय को केस के संबध में जानकारी नहीं दी। जमानत पर छोड़ने की बजाए प्रकरण दर्ज कर लिया। प्रकाश के अधिवक्ता दिनेश मालविया ने बताया कि प्रकाश पर धारा 363 में प्रकाश पर प्रकरण दर्ज था। इस धारा में कोर्ट ने उसे जमानत दे दी। इसके बाद इस मामले में धारा बढ़ाने के लिए जांच अधिकारी को कोर्ट को अवगत कराना था। कोर्ट को जानकारी दिए बिना ही प्रकाश पर धारा 376 और पास्को एक्ट लगाया गया।
डीएनए टेस्ट कराने के लिए मांगा था रिमांड
प्रकाश पर दुष्कर्म और पास्को एक्ट में केस दर्ज करने के बाद पुलिस उसे रिमांड पर लेने की तैयारी में थी। इसके लिए शुक्रवार को मोनिका ने आरोपी प्रकाश को जिला एवं सत्र न्यायाधीश रघुवंशी के यहां पेश किया। जांच अधिकारी ने आरोपी को डीएनए टेस्ट कराने के लिए रिमांड मांगा। प्रकाश की पत्नी को भी कोर्ट में बुलाया गया। कोर्ट में गर्भवती महिला अपने 2 साल की बेटी को लेकर पहुंची। उसने कोर्ट में कहा कि यह दोनों बच्चे प्रकाश के हैं। प्रकाश ने भी बच्चों को अपना बताया और साथ रहने की बात कही। अधिवक्ता दिनेश मालविया ने बताया कि जब पति-पत्नी दोनों बच्चों को अपना ही बता रहे हैं तो इसमें डीएनए कराने जैसी कोई बात ही नहीं है। बेवजह मामले में डीएनए क्यों कराया जाए। इसके चलते न्यायाधीश ने रिमांड के आवेदन को निरस्त कर दिया है।
14 दिसंबर तक देना है जवाब
अधिवक्ता दिनेश मालविया ने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने जांच अधिकारी एसआई मोनिका को नोटिस दिया है। इसके अलावा एसपी नवनीत भसीन, महिला सेल डीएसपी, कोतवाली टीआई दिलीप पुरी को भी नोटिस दिए गए हैं। इस नोटिस का जवाब पुलिस अधिकारियों को 14 दिसंबर तक देना है। इसके बाद कोर्ट द्वारा आगे की कार्रवाई की जाएगी।