खंडवा। खंडवा: 40 साल पहले पति का साथ छूटा संतान न होने का दर्द सहते सहते अकेले ही मुसीबतों की थपेड़े खाते हुए कच्चे और टूटे फूटें आशियाने मे अपने जीवन के 70 वर्ष पूरे किये लेकिन जीवन मे मुशकिले जैसे पिछा ही नही छोड़ रही हो, अँसुइया बाई को पाँच माह पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत भवन स्वीकृत हुआ, जिसे सरपंच पति ने बनाने का कहकर उसका पुराना भवन तोड़ दिया। पाँच माह से आज तक खुले आसमान के नीचे बारिश और ठंड का सामना करते हुए हर दिन अपने आशियाने के बनने का इंतजार कर रही है ।
यह कोई काल्पनिक कहानी नही है ,यह हकीकत है, पुनासा जनपद एवं विकास पुरुष के नाम से पहचाने जाने वाले विधायक लोकेंद्र सिंह तोमर के विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बाँगरदा मे रहने वाली वृद्धा अंसुइया पति स्व.नारायण जाति ब्राम्हण की , इस पूरे मामले की हकीकत जानी तो एक मार्मिक कहानी की तरह हकीकत सामने आई ,ग्राम की वृद्धा अंसुइया बाई ने बिलखते हुए अपनी दास्तां बया की पिछले 4 महीने से मै इस खुले आसमान के नीचे भुकी प्यासी बारिश और ठंड सह रही हूँ मेरा कोई सहारा नही है । कपड़े मे छुपे अपने हाथ के जख्मों को दिखाते हुए कहा की मुझसे काम भी नही बनता है ,खाना बनाने मे भी असमर्थ हूँ ,स्कूल मे बनने वाले मध्यान भोजन से पेट भरती हूँ जिस दिन स्कूल की छुट्टी रहती है उस दिन भुखे ही रहना पड़ता है।
ऐसे पीएम आवास से तो मेरा टूटा आशियाना ही अच्छा था
कुटीर के नाम से मुझे बैंक ले जाकर सरपंच ने 40-40 हजार रुपये दो बार निकलवाये ओर यह रुपये सरपंच ने रख लिये ,लेकिन कुटीर अभी तक नही बनी। आवास निर्माण की स्थिती देखने पर पता चला की 80 अस्सी हज़ार रुपये निकाले जाने के बाद भी काम के नाम पर सिर्फ पुरानी इंटे और पुराने दरवाजे लगाकर 3-3 फिट ऊँची दीवारें ही खड़ी की है । वृद्धा अंसुइयाबाई का कहना है की ऐसे आवास से तो मेरा पुराना मकान ही अच्छा था। नीचे धरती ऊपर आसमान का सहारा है आस पास भी कोई नही जिसे दुख तक़लीफ़ मे पुकार सकु।
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सरपंच पति दशरथ सिंह से जब इस मामले पर पूछा तो उनका कहना है वृद्धा अँसुइया खुद मेरे घर रुपये देने आई थी निर्माण काम चल रहा है।
जनपद पंचायत पुनासा के मुख्यकार्यपालन अधिकारी मनीष भारद्वाज का कहना है मामले को कल ही दिखवाता हूँ दोषी के खिलाफ पंचायतराज़ अधिनियम के साथ साथ क्रिमनल धारा के अन्तर्गत भी प्रकरण दर्ज करवाऊंगा।
ठण्ड का मौसम है ऐसे में बुजुर्ग दंपति की जान पर आ सकती है। जिम्मेदार बेखबर है या फिर दोषियों को नजरअंदाज कर रहे हैं. या जैसा अन्य मामलों में देखा गया सबकी मिलीभगत है। यदि ऐसा नहीं तो फिर बुजुर्ग दंपति के कुटीर की किश्तों का पैसा कैसे खाते से निकला और किसने लिया जांच का विषय है दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का।