खंडवा। डीएफओ को जमीन पर पटककर जूते मारने की धमकी देने वाले विधायक देवेंद्र वर्मा को आखिरकार झुकना पड़ा। पार्टी का दबाव ऐसा बढ़ा कि उन्हें मामला शांत करने के लिए डीएफओ एसके सिंह के आवास पर जाना पड़ा।
सूत्र बताते हैं कि यहां विधायक ने अपने कृत्य पर डीएफओ से माफी मांगकर कहा कि मैं आवेश में आ गया था। हालांकि विधायक का कहना है कि माफी की कोई बात नहीं है। मामले में समझौता हो गया है। इधर डीएएफओ सिंह ने विधायक के खिलाफ थाने में दर्ज प्रकरण वापस लेने की तैयारी कर ली है।
नागचून के पास हुए पौधारोपण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर डीएफओ पर गुस्सा उतारने वाले विधायक का साथ उनकी ही पार्टी के पदाधिकारी नहीं दे सके। घटनाक्रम के बाद विधायक के खिलाफ थाने में शिकायत की गई थी। इसके बाद एक तरफ जहां वन विभाग के साथ ही संयुक्त मोर्चा के अधिकारी-कर्मचारियों ने भी विधायक को गिरफ्तार करने की मांग करते हुए रैली निकाली थी। मामले के तूल पकड़ने के बाद भाजपा ने भी एक तरह से विधायक की हरकत पर साथ देने की बजाए उन्हें डीएफओ से माफी मांगने की नसीहत दे डाली।
तीन दिन पहले ही विधायक वर्मा सिविल लाइन स्थित डीएफओ सिंह के आवास पर पहुंचे और उनसे अपने कृत्य पर शर्मिंदगी जताकर आ गए। चर्चा तो यह भी है कि विधायक ने डीएफओ से वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के समक्ष माफी मांगी और डीएफओ ने माफ भी कर दिया लेकिन दोनों ही इस बात को खुले रूप से कहने में कतरा रहे हैं।
पार्टी ने कहा मुद्दा खत्म करो
जब इस मामले में विधायक वर्मा से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठजनों का कहना था कि इस मुद्दे को आगे नहीं बढ़ाना है। किसी तरह बैठकर इसे खत्म करो। मैंने भी कहा मुझे कोई दिक्कत नहीं है। विधायक ने स्वीकार किया कि मैं डीएफओ के घर गया था लेकिन माफी वाली कोई बात नहीं है। आपसी समझौते की बात थी। हमने कह दिया कि इसे खत्म करें और डीएफओ भी मान गए।
गलतियां दोनों तरफ से थीं
अभद्रता करने वाले विधायक को कोर्ट तक ले जाने की बात कहने वाले डीएफओ सिंह के सुर भी बदल गए हैं। डीएफओ का कहना है कि गलतियां दोनों तरफ से थीं। हम लोगों ने समझा कि ज्यादा उचित होगा कि मामले को शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त कर दें। डीएफओ ने कहा कि वे थाने में की गई शिकायत भी वापस ले लेंगे। इसके लिए गुरुवार को थाने में आवेदन देंगे।
प्रदेश स्तर तक पहुंचा था मामला
विधायक द्वारा डीएफओ के साथ अभद्रता वाला मामला प्रदेश स्तर पर उछला था। वन विभाग के प्रदेश स्तरीय अधिकारी-कर्मचारियों के संघ ने भोपाल में एक विशेष बैठक लेकर चरणबद्ध आंदोलन तक करने की रणनीति बना ली थी। बताया जाता है कि विधायक के कृत्य पर भाजपा की किरकिरी अधिक ना हो इसे देखते हुए विधायक पर माफी मांगने का दबाव बनाया गया।
यह है मामला
वृहद स्तर पर पौधारोपण कार्यक्रम के दौरान नागचून के आसपास वन विभाग को डेढ़ लाख पौधे लगाने थे। साथ ही यहां सुरक्षा व्यवस्था के लिए चौकीदार भी लगाने थे। जिला पंचायत भवन में 27 सितंबर को बैठक के दौरान विधायक ने पौधारोपण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए देखरेख के लिए तार फेंसिंग और चौकीदार नहीं होने पर फटकार लगाई थी।
उन्होंने डीएफओ को जमीन पर पटकर जूते मारने तक की बात कह दी थी। इस मामले में समझौते के बाद भी विधायक ने पौधारोपण में हुए भ्रष्टाचार के मामले में जांच कराने की बात कही है। उन्होंने कहा कि गलत कहीं भी होगा तो उसके खिलाफ आवाज आगे भी उठाता रहूंगा।