भोपाल। सरकार को अब प्रदेश में संविदा पर कार्यरत सवा लाख महिला कर्मचारियों को भी मातृत्व अवकाश और चाइल्ड केयर लीव का लाभ देना होगा। यह आदेश हाईकोर्ट की डबल बैंच ने एक संविदा महिला कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है। अभी ज्यादातर विभागों में कार्यरत संविदा महिला कर्मचारियों को इन सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। जिसके खिलाफ महिला कर्मचारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
छिंदवाड़ा जिला सत्र न्यायालय में कोर्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत महिला संविदा कर्मचारी प्रियंका गुजरकर ने अधिकारियों से मातृत्व अवकाश मांगा था। जिसे अधिकारियों ने यह कहते हुए देने से मना कर दिया कि आपकी (प्रियंका गुजरकर) नियुक्ति संविदा पर हुई है।
जिस पर संविदा महिला कर्मचारी ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। जिस पर 2 मार्च को हाईकोर्ट की डबल बैंच ने कहा है कि भले ही महिला कर्मी की सेवा शर्ते या कार्य की प्रकृति नियमित कर्मचारियों से अलग हो, लेकिन जब बात मातृत्व से जुड़ी हो तो उसको सभी लाभ देना नियोक्ता की संवैधानिक जिम्मेदारी है।
युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को एक नियमित महिला कर्मचारी की तरह मिलने वाले सभी लाभ देने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट के इस आदेश का फायदा प्रदेश में संविदा पर कार्यरत सवा लाख से अधिक महिला कर्मचारियों को मिलेगा।
संविदा महासंघ के अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि प्रदेश में संविदा पर ढ़ाई लाख कर्मचारी कार्यरत है। इनमें सवा लाख से अधिक महिला कर्मचारी शामिल हैं। जिन्हें मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। पीडब्ल्यूडी, पीएचई, वाणिज्यकर, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, खेल एवं युवा कल्याण समेत कई ऐसे विभाग हैं, जिनमें महिला कर्मचारियों को मातृत्व और चाइल्ड केयर लीव का लाभ नहीं दिया जाता, जबकि नियमित महिला कर्मचारियों को 6 महिने के मातृत्व अवकाश और 2 साल के चाइल्ड केयर लीव की पात्रता है। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले से सरकार को अवगत करा दिया है। अब महिलाओं को दोनों सुविधाओं का लाभ मिलेगा।
यह है महिला कर्मचारियों को मातृत्व लाभ देने के प्रावधान: मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 में भी प्रावधान है कि नियोक्ता द्वारा नियुक्त वह महिला कर्मचारी जिसने लगातार 80 दिन काम किया है। वह मातृत्व लाभ की हकदार होगी। भले ही उसकी नियुक्ति संविदा पर हुई हो या वह दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हो।