भोपाल। सेंट्रल जेल भोपाल में बंद सिमी के आठ आतंकी देर रात एक प्रधान आरक्षक की हत्या कर भाग गए। बी ब्लॉक में बंद इन आतंकियों ने ओढ़ने वाली चादर से सीढ़ी बनाकर जेल की दीवार फांदी। आतंकियों के नाम शेख मुजीब, माजिद खालिद, अकील, खिलची, जाकिर सलीख, महबूब और अमजद हैं।
घटना के बाद मंडीदीप, खरबई और सलामतपुर में पुलिस सर्चिंग कर रही है। सभी फरार होने वाले आतंकियों पर पांच-पांच लाख रुपए का इनाम घोषित कर दिया गया है। इनमें कुछ वो आतंकी भी शामिल हैं, जो सात वर्ष पूर्व मप्र की खंड़वा जेल से फरार हुए थे। घटना में मृत प्रधान आरक्षक का नाम रमाकांत यादव है। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री ने इसे सुरक्षा में बड़ी चूक माना है। और जिम्मेदारों कार्रवाई करने की बात कही है।
घटना रात दो से चार बजे के बीच की है। प्रधान आरक्षक रमाशंकर यादव और आरक्षक चंदन सिंह ड्यूटी बदलने के लिए मिले थे। इसी दौरान आठ आतंकियों ने इन पर हमला कर दिया। प्रधान आरक्षक यादव की चम्मच या प्लेट से बनाए गए धारदार हथियार से गला रेतकर हत्या कर दी और आरक्षक चंदन के हाथ-पैर बांध दिए। इसके बाद चादर में लकड़ी बांधकर उसकी सीढ़ी बनाई और करीब 25 फीट ऊंची दीवार को फांदकर दूसरी तरफ निकल गए। सभी आरोपी बी ब्लॉक में थे। फरार आठ आतंकियों में से चार खंडवा जेल से फरार हुए थे। बताया जा रहा है कि घटना की जानकारी जेल प्रबंधन को सुबह 4:30 पर मिली।
खंड़वा जेल से भी हुए थे फरार
2 अक्टूबर 2013 को सिमी के सात आतंकी खंड़वा जेल से फरार हो गए थे। बाद में एटीएस और पुलिस ने इन्हें अलग-अलग स्थानों से पकड़ लिया था। सभी को कड़ी सुरक्षा में भोपाल सेंट्रल जेल में बंद करके रखा गया था। देर रात भागे गए आठ आतंकियों में कुछ वे आतंकी भी शामिल है जो पहले खंड़वा जेल से भाग चुके हैं। माना जा रहा है कि इन्हीं ने भागने का षडयंत्र रचा होगा। अब भी जेल में 22 सिमी आतंकी कैद हैं।
केन्द्र से मिले अलर्ट के बाद खुफिया एजेंसियो की नजर सिमी के इन्हीं लापता आतंकियों पर है, जो संगठन के बैन होने के बाद से ना तो पकड़े ही गए और ना ही किसी वारदात में उनका नाम सामने आया। इस अलर्ट के बाद यूपी के अंदर बैठे इन आतंकियों के मददगारों पर पुलिस ने निगाह गढ़ा दी है।
खुफिया एजेंसियों ने जताई चिंता
आईबी ने साफ तौर पर कहा है कि सिमी के जो आतंकी बीते कई सालों से अंडरग्राउंड हैं, जिनके बारे में यूपी पुलिस और उसकी इंटेलीजेंस को कोई सुराग तक नहीं है वो अब नया खतरा बन गए हैं। लिहाजा उनकी तलाश तेज की जाए। उनके मददगारों पर नजर रखी जाए।
वैसे भी 2002 में प्रतिबंध लगने के बाद सिमी ने नया चोला ओढ़कर कर नाम इंडियन मुजाहिदीन रख लिया है। जिसने 2005 तक देश में लगातार विस्फोट कराये और उसके बाद अब उसके तमाम लोग स्लीपिंग माड्यूल की तरह काम कर रहे हैं। जिसकी बानगी दो वर्ष पहले बिजनौर में एक घर के अंदर विस्फोट के बाद सामने आई थी।
पाकिस्तानी नागरिक भी अब सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर
सिमी के साथ ही करीब दस वर्ष पहले क्रिकेट मैच देखने के नाम पर वीजा लेकर भारत आये पाकिस्तानी नागरिक भी अब सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर हैं। यह लोग भारत आये तो लेकिन वापस नहीं गए। इनकी संख्या करीब 400 के करीब है। रिकॉर्ड दर्शाते हैं कि पासपोर्ट लेकर आये पाकिस्तानियों से देश को खतरा कम ही रहा है।